पिंगली वेंकैय्या वाक्य
उच्चारण: [ pinegali venekaiyeyaa ]
उदाहरण वाक्य
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- कौन जानता है पिंगली वेंकैय्या को!
- चार जुलाई 1963 कों श्री पिंगली वेंकैय्या का निधन हो गया.
- पिंगली वेंकैय्या की संस्कृत, उर्दू व हिंदी आदि भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी।
- स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या का सं स्कृत, उर्दू एवम हिंदी आदि भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी.
- इसी के बाद पिंगली वेंकैय्या द्वारा किये गए झंडे का नाम झंडा वेंकय्या लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया।
- 63 वीं स्वतंत्रता दिवस पर विशेष-हम सभी भूल चूके हैं राष्ट्रीय ध्वज के निर्माता “ पिंगली वेंकैय्या ” को
- 22 जुलाई-पिंगली वेंकैय्या द्वारा निर्मित भारत के राष्ट्रीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में भारत की संविधान सभा द्वारा अपनाया गया।
- इसी के बाद पिंगली वेंकैय्या द्वारा किये गए झंडे का नाम “ झंडा वेंकैय्या ” लोगों के बीच लोक प्रिय हो गया.
- पिंगली वेंकैय्या ने प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू एवम मछलीपट्टनम से प्राप्त करने के बाद १ ९ वर्ष कि उम्र में मुंबई चले गए.
- उधर महात्मा गाँधी जी का खड़ी आन्दोलन चल ही रहा था, इस आन्दोलन ने भी पिंगली वेंकैय्या के मन कों बदल दिया.
- उधर ब्रिटिश सरकार ने स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या कों “ रायल एग्रीकल्चरल सोसायटी ऑफ़ लन्दन ” का सदस्य के रूप में मनोनीत कर उनके गौरव कों बढाया.
- भारतीय डाक-तार विभाग ने 12 अगस्त 2009 कों यानि उनके निधन के पूरे 46 साल बाद स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या पर एक पॉँच रुपये का डाक टिकट जारी किया.
- (४) २२ जुलाई सन १ ९ ४ ७-पिंगली वेंकैय्या द्वारा निर्मित भारत के राष्ट्रीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में भारत की संविधान सभा द्वारा अपनाया गया।
- दुःख तो इस बात कि है कि स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या द्वारा किये गए कार्य कि न तो भारत सरकार ने न ही कांग्रेस ने सही ढंग आदर दिया है. प्रदीप श्रीवास्तव
- पंद्रह अगस्त कों जहाँ हम स्वतंत्रता दिवस कि 63 वीं वर्ष गांठ मना रहे होंगे वहीँ दूसरी ओर अपने राष्ट्रीय झंडे क़ी संरचना करने वाले पिंगली वेंकैय्या कों कोई भी याद तक नहीं करेगा.
- गाँधी जी अपने सम्पादकीय में आगे लिखते हैं कि ” जब मैं विजयवाड़ा के दौरे पर था उस दौरान पिंगली वेंकैय्या ने मुझे हरा एवम लाल रंगों से बने बिना चरखों वाले केई चित्र बनाकर दिए थे.
- राष्टरीय ध्वज क़ी डिजाईन तैयार करने वाले स्वर्गीय पिंगली वेंकैय्या का जन्म आन्ध्र प्रदेश के कृष्ण जिले के “ दीवी ” तहसील के “ भटाला पेनमरू ” नामक गाँव में दो अगस्त 1878 कों हुई थी, उनके पीटा का नाम पिंगली ह्न्मंत रायडू एवम माता का नाम वेंकटरत्न्म्मा था.
- इस सन्दर्भ में महात्मा गाँधी ने “ यंग इण्डिया ” नामक अख़बार के सम्पादकीय में “ आवर नेशनल फ्लैग ” शीर्षक से लिखा कि “ राष्ट्रीय ध्वज के लिये हमें बलिदान देने कों तैयार रहना चाहिए, वे आगे लिखते हैं कि मछलीपट्टनम के आन्ध्रा कालेज के पिंगली वेंकैय्या ने देश का झंडा के सन्दर्भ एक पुस्तक प्रकाशित क़ी है, जिसमे उनहोने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से सम्बंधित अनेकों चित्र प्रकाशित कियर हैं, जिसके लिये में उनके श्रम कों देखते हुए उनका आदर करता हूँ ”.
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